ऐ ज़िन्दगी तू मुझसे मिलने आती क्यों नहीं?
मेरी तन्हाई को हमराह बनाती क्यों नहीं?
कि हमने भी मुस्कुराने का मौका दिया है, लोगो को,
रूठ के जाने को, तू फिर आती क्यों नहीं?
इस रिश्ते कि कब्र पर चढाया था, एक फूल मैंने भी,
तू आखरी सलाम देने, आती क्यों नहीं?
रस्म-ऐ-मोहब्बत है, रूठने मनाने कि,
तू इस रस्म को तोड़ने फिर आती क्यों नहीं?
तेरे दीदार को अटकी है, आखरी साँस मेरी,
इस साँस को तोड़ने तू आती क्यों नहीं?
तेरे बिस्तर मैं छुपे हुए कुछ, मेरे प्यार के आँसू,
उन आँसुओ को सुखाने, आती क्यों नहीं?
बच गया है मेरा जो अक्स, तेरे दिल के किसी कोने में,
उस अक्स को मिटाने अब आती क्यों नहीं?
ऐ ज़िन्दगी तू मुझसे मिलने आती क्यों नहीं?
मेरी तन्हाई को हमराह बनाती क्यों नहीं?
9 comments:
sunder rachna ke liye badhai. blog jagat men swagat.
तेरे बिस्तर मैं छुपे हुए कुछ, मेरे प्यार के आँसू,
उन आँसुओ को सुखाने, आती क्यों नहीं?
लाजवाब शेर..........खूबसूरत ग़ज़ल
स्वागत है आपका इस जगत में
खूब हैं आपके जज्बात लिखते रहें
badhiya hai bhaayi
likhte rahiye
shubh kamnayen
रूठने मनाने कि,
तू इस रस्म.....अच्छी कहन है
गज़लों हेतु
http://gazalkbahane.blogspot.com/ कम से कम दो गज़ल [वज्न सहित] हर सप्ताह
http:/katha-kavita.blogspot.com/ दो छंद मुक्त कविता हर सप्ताह कभी-कभी लघु-कथा या कथा का छौंक भी मिलेगा
सस्नेह
श्यामसखा‘श्याम
sundar . narayan narayan
अच्छी रचना है ।
Thanks Everybody.
Thanks for ur comment.
I'll try to come with some good one.
इस साँस को तोड़ने तू आती क्यों नहीं? तेरे बिस्तर मैं छुपे हुए कुछ, मेरे प्यार के आँसू,
जान बस्ती है इन पंक्तियों मैं
अपनी अपनी डगर
bahut achacha!!!
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