कभी कभी मुझे भय होता है, पता नहीं क्यों,
पर शायद मैं उस स्तिथि मे, अभी नहीं, जहाँ मैं भयमुक्त हो सकूँ.
मैं भयमुक्त नहीं, क्योंकि तुम्हारा पूर्ण समर्पण,
तुम्हारे विचार,
तुम्हारा रंग, रूप, सौन्दर्य, समय,
तुम्हारी पूर्णता, सबकुछ, मैं अपने लिए चाहता हूँ.
मैं भयमुक्त नहीं, क्योंकि,
मैं जानता हूँ, कि तुम एक अलग अस्तित्व हो,
एक अलग व्यक्तित्व हो,
तुम्हारी अपनी मंजिल, अपनी राह है,
तुम्हारी अपनी आशाएं, उम्मीदे, अपनी चाह है.
मैं भयमुक्त नहीं, क्योंकि,
तुम्हारी पूर्णता “मैं” नहीं.
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