Blogvani

Saturday, May 9, 2009

दूरी….

“मैं,
सूरज की तपिश को ,
पवन के वेग को ,
पर्वतों की ऊंचाई को,
धरा की बिप्दायो को ,
सब सह लूँगा.

क्योंकि
या तो मैं मर जाऊंगा,
या नए तेज़ के साथ जी उठूँगा .
पर,
मैं तुझसे दूरी नहीं सह पाउँगा ,
क्योंकि,
तेरी यादें मुझे मरने नहीं देंगी,
और तेरी जुदाई मुझे जीने.”

1 comment:

Anonymous said...
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